The Basic Principles Of Shiv chaisa

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी

लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं ।

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

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श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

कीन्ही दया तहं करी Shiv chaisa सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥ शंकर हो संकट के नाशन ।

सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन

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